बुधवार, जनवरी 17, 2007

पुरातन सभ्यताएँ एवम् उनका विज्ञान

मनुष्य हमेशा से अपने पूर्वजों को मुर्ख समझता आया है और वह कभी यह बात मान नहीं सकता कि आदि(!!) मानव ने ऐसे कार्य कर रखे हों जिन्हे करना उसके बूते से बाहर हो (कयी उदाहरण हैं - बाद में)। आज के वेज्ञानिक सिर्फ जितना वह खोद सकते हैं उतना सच मानते हैं और उसके अलावा जो होता है उसे बेबुनियाद कह के सिरे से खारिज कर देते हैं। वह यह मानने को तैयार ही नहीं होते कि उनकी भी कुछ सीमा (परिमितता) हो सकती हैं। अभी हाल ही में मेरी (गिद्ध सी :D) नज़र इस लेख पर गयी; समय हो तो ज़रूर पढ़येगा।

वेदिक सभ्यता

मेरे जैसे 'हिन्दु/ वेदिक धर्मोन्मत्तों (fanatic) ' के लिये एक खुशखबरी-
रूस के एक गाँव में विष्णु भगवान कि ७-१० सदी के समय कि मुर्ति मिली। संपूर्ण लेख यहाँ देखें।
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